कृषि – एक कुशल व्यवसाय
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- anil
- April 21, 2022
कृषि - एक कुशल व्यवसाय
कृषि आज के आधुनिक जीवन में बन सकता है एक बड़ा व्यापार साम्राज्य जिसके लिए किसानों को कुछ अहम चीजों पर ध्यान देना चाहिए जैसे:
विदेशी सब्जियों की मांग बहुत बढ़ गई है तो अपने आस – पास के शहर से जानकारी लेकर और अपने क्षेत्र के अनुकूल मौसम के अनुसार सबसे ज्यादा मांग वाली सब्जी को महत्व दिया जा सकता है । कुछ विदेशी सब्जियां जो बहुत ज्यादा मांग में हैं और उनकी खेती की जा सकती है उनमें से कुछ है :चेरी टमाटर की खेती,जुकीनी की खेती ,ब्रोकली,लैटयूस आदि। यह खाने में भी बहुत फायदेमंद है और इनके दाम भी बहुत अच्छे मिलते हैं। कोई भी दिक्कत आने पर अब आपको किसी भी कृषि विभाग में जाने की जरूरत भी नहीं है क्योंकि कृषि वैज्ञानिक अब आपसे सिर्फ एक कॉल की दूरी पर हैं. आपको बस किसान कॉल सेंटर (KCC-Kisan Call Centre)1800-180-1551 पर फोन करकर अपनी समस्या को बताना है।
अब कुछ किसान भाई यह कहते हैं कि उनके पास जमीन नहीं है तो वह खेती कैसे करें इसका भी समाधान निकल गया है जैसे किसी को पैसे देने के लिए आपको पहले बार-बार बैंक जाना पड़ता था पर अब ऑनलाइन ट्रांसफर हो जाता है वैसे ही अब खेती करने के लिए मिट्टी की आवश्यकता ही नहीं है: यह जलीय कृषि (हाइड्रोपोनिक्स) की सहायता से संभव हो गया है। इसे जमीन की समस्या खत्म होती है और इससे मिट्टी में पनपने वाली बीमारियां भी कम होती है जैसे फंगस , बैक्टीरिया और यही नहीं इसमें खरपतवार का इस्तेमाल भी बहुत कम करना पड़ता है। और पानी की लागत तो आधी से भी कम हो जाती है और यही नहीं 10 बीघे की खेती और 1 बिघेे में संभव हो गई है। इसमें एक के ऊपर एक लाइनें तैयार की जाती है और ऊपर नीचे पौधे लगाए जाते हैं पाइपों के अंदर और थोड़ी थोड़ी मिट्टी में उनकी सिंचाई की जाती है और इस खेती का और भी फायदा होगा अगर आप जैविक खेती कर इसे अपनी ब्रांड बनाकर बेचेंगे , अब किसान भाई यही सोच रहे होंगे कि अब एक अकेले किसान का तो यह करना असंभव हो जाएगा और इसमें समय भी बहुत बर्बाद होगा यही काम अगर एक समूह बनाकर किया जाए तो बहुत आसान हो जाएगा इससे किसानों को सहायता भी मिलेगी और काम भी जल्दी होगा यह किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगा और और अपना व्यापार स्थापित करने में मदद करेगा। है ना यह खेती एकदम कम लागत में ज्यादा मुनाफे वाली।
अगली सबसे ज्यादा मांग में है वह है मशरूम
मशरूम की खेती करना भी ज्यादा मुश्किल नहीं है और इसमें जमीन की आवश्यकता भी नहीं है यह थोड़ी सी जगह में भी की जा सकती है इसमें सिर्फ एक कमरे की आवश्यकता होती है जिसे बिल्कुल भी धूप ना लगे और और इस खेती को करने के लिए प्लास्टिक बैग आते हैं जिनमें (कंपोस्ट)खाद डालकर बीज डालने होते हैं और थोड़े दिनों से बस आवश्यक उर्वरक छिड़कना पड़ता है इसके लिए कोई स्पेशल ट्रेनिंग की आवश्यकता भी नहीं पड़ती और सारा सामान बाजार में उपलब्ध हो जाता है। इस खेती से भी बहुत मुनाफा होता है और इसे करना भी मुश्किल नहीं है।
अगली सबसे ज्यादा मांग में रहने वाली खेती है औषधीय जड़ी बूटी
आजकल लोग आयुर्वेद में बहुत विश्वास रखने लगे हैं और कंपनियां इन जड़ी-बूटियों को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर खरीद लेती है अब फिर वही बात आती है कि एक अकेले किसान को यह करना बहुत मुश्किल होगा वह पहले जड़ी बूटियों को बोएगा फिर कंपनियों से बात करेगा और अगर यही काम बहुत सारे किसान इकट्ठे मिलकर करें तो कंपनी खुद ही चलकर आती है ना कि किसान को जाना पड़ता है तो इसके लिए आपको समूह में रह एलकर काम करना होगा ताकि कोई मुश्किल का सामना ना करना पड़े किसानों को एकजुट होकर काम करने की जरूरत है ताकि उनकी हर समस्या का समाधान निकले। किसान भाई अपने आसपास की फर्मों में जाकर या दुकानों पर जाकर पता कर सकते हैं कि कौन सी औषधि की मांग है और उसके आधार पर खेती कर सकते हैं इसमें भी बहुत मुनाफा है। यह खेती करने से पहले जमीन की जानकारी होना भी बहुत ज्यादा जरूरी होता है। कुछ औषधियां हैं जैसे आंवला, एलोवेरा, तुलसी , अश्वगंधा आदि। हर्बल पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार 75% की सब्सिडी भी दे रही है।
तेल निष्कर्षण
जो , चावल, गेहूँ, आलू, कपास और सब्जी इन सब की खेती तो आम खास बात है सभी करते हैं पर किसानों को इस में मुनाफा दिन-ब-दिन कम होता जा रहा है इसलिए इसका एक और विकल्प है वह सुगंधित फूलों की फसल को उगाना क्योंकि इसकी मांग विदेशों में बहुत बढ़ गई है और इसके अच्छे दाम मिल रहे हैं। सुगंधित तेल का इस्तेमाल अब घरों में आम खास बात हो गई है तो इसकी जरूरत बढ़ गई है लोग इसे घर को महकाने में और खाने में, मिठाईयों में प्रयोग करते हैं इसलिए बाजार में इसकी जरूरत है तो किसानों को इस बात पर ध्यान देते हुए मौसम के अनुकूल और अपनी जमीन के अनुसार ऐसी फसलें बोनी चाहिए जैसे लेमनग्रास यह बंजर भूमि में बिना किसी मेहनत के भी उग जाता है और पानी की आवश्यकता भी बहुत ही कम पड़ती है। ऐसी स्थिति में भी एक समूह की जरूरत पड़ती है जिससे किसान एक दूसरे को मदद कर सके और सभी मिलकर अपनी फसल को भेजें जिससे दाम भी अच्छे मिलेंगे।
और यही नहीं सभी किसान मिलकर अपनी एक मील लगाकर इस तेल को बेच सकते हैं जिससे उन्हें और भी ज्यादा दाम मिल सकते है उन्हें किसी कंपनी के पास जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी अगर उनकी खुद की कंपनी होगी और यही उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगी और मुनाफा भी दोगुना मिलेगा।
यही छोटी-छोटी बातें हैं जिन पर किसान ध्यान नहीं देते और इससे उन्हें घाटा हो रहा है अगर समूह बनाकर सभी किसान काम करेंगे तो उन्हें एक साथ बहुत मुनाफा होगा और जिन समस्याओं का वह सामना कर रहे हैं उनका सामना भी नहीं करना पड़ेगा । सभी किसानों का कहना है कि सरकार उनकी सुनती नहीं है अगर समूह में रहकर काम किया जाएगा तो पहली बात है कोई समस्या आएगी नहीं और अगर आएगी तो उस पर सरकार को ज्यादा ध्यान देना पड़ेगा क्योंकि एक समूह बनाकर अपनी बात को पहुंचाया जाएगा जिससे सरकार को ज्यादा ध्यान देना पड़ेगा। इसीलिए सरकार किसान उत्पादक संगठन (fpo) का निर्माण कर रही है ताकि किसान आत्मनिर्भर बन सकें।