जैविक खाद्य और जैविक कृषि के मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
मुख्य पृष्ठजैविक खाद्य और जैविक कृषि के मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
- anil
- April 15, 2022
जैविक खाद्य और जैविक कृषि के मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
हम सभी सोचते तो है कि बीमारियां बहुत फैल गई है लेकिन कभी इसके लिए कौन जिम्मेदार है और इसका क्या इलाज किया जाए यह नहीं सोचते हैं । अगर इतिहास में देखा जाए तो हमारे पूर्वजों की जितनी लंबी उम्र होती थी उतनी अब नहीं होती आजकल और थी भी अब तो बिना किसी बीमारी के कोई इंसान होता ही नहीं है । ऐसा क्यों हो रहा है ?
इस सब के जिम्मेदार हम सभी हैं आगे बढ़ने की चाह में और ज्यादा कमाने के लालच में इंसान कुछ भी कर सकता है और इसका परिणाम हमारे सामने हैं । 1902 में जब लड़ाई हुई तो भारत में अनाज कम पड़ने लगे और खाने का अभाव होने लगा तो इसके लिए वैज्ञानिकों ने उर्वरकों और कीटनाशकों को बनाया और बढ़ावा दिया जिससे बहुत जल्द अनाज से पूरे देश के गोदाम फिर से भरने लगे और तभी से ये उर्वरकों , कीटनाशकों के इस्तेमाल की परंपरा चल रही है जिससे मिट्टी एक बार तो उपजाऊ बन जाती है पर इसके बहुत सारे दुष्प्रभाव नजर आते हैं इससे हमें हमारी सेहत के साथ समझौता करना पड़ता है और सारे रोगों की जड़ भी यही है और हमे खाना खाने के बाद कई तरीके की समस्याओं का सामना करना पड़ता है । जैसे – पेट में जलन होती है , गैस ,पेट में भारीपन आदि जो कि पूरा पाचन तंत्र खराब कर देती है यह समस्या समस्याएं बच्चों से लेकर बूढ़ों में सभी को होने लगी है। यह लीवर को भी नुकसान पहुंचाती है और यही नहीं कैंसर, बीपी का बढ़ना या घटना भी इसी से हो रहा है हमें इस बात का एहसास नहीं हो रहा कि हम खाना नहीं रोज जहर खा रहे हैं जो हमारे पेट में जमा होकर नए रोगों को बढ़ावा दे रहा है।
हम जो भी सब्जियां , फल , अनाज खाते हैं सभी पोषक तत्वों से ज्यादा रसायनों से भरे हुए होते हैं और हम उन्हें रोज खाते हैं और हमें इसके नुकसान का कोई अंदाजा भी नहीं होता मोटापे का भी सबसे बड़ा कारण अजैविक भोजन ही है अगर इन रोगों को फैलने से बचाना है और स्वस्थ रहना है तो हमें फल , सब्जियां ,बीअनाज खाना बंद नहीं करना बल्कि जैविक खेती को बढ़ावा देना है और जागरूकता फैलानी है । जैविक खाना खाने से वजन अपने आप ही नियंत्रण में हो जाता है और जैविक अनाज , फल , सब्जियों में सिर्फ पोषक तत्व ही होते हैं और यह रसायन मुक्त होता है । जैविक खेती में सेहत बनी रहती है । पहले के लोग सिर्फ जैविक उत्पादों को ही उपयोग में लेते थे इसलिए उनकी उम्र लंबी और रोगमुक्त होती थी इसलिए पारपरिक खेती(जैविक खेती) को बढ़ावा देना है और और अजैविक उत्पादों का इस्तेमाल कम से कम करना है । अब लोग धीरे-धीरे जैविक खेती की जरूरत को समझने लगे हैं और इसीअपनाने लगे हैं।
सरकार ने भी जैविक खेती को बढ़ावा देना शुरू किया है इसके लिए कुछ योजनाएं भी जैसे ऑर्गेनिक/ बायोलोजिकल निविष्टियों के लिए वाणिज्यिक उत्पादन इकाइयों हेतु पूंजी निवेश सब्सिडी योजना , परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और किसानों को प्रेरित कर रही हैं , यही नहीं सरकार जैविक खाद भी उपलब्ध करा रही है और और जैविक फसलों के दाम भी ज्यादा दे रही है घर पर भी खाद बनाना बहुत आसान है और इससे कचरे का समाधान भी हो जाता है जैविक खेती पर्यावरण के अनुकूल है और पारिस्थितिक संतुलन बना कर रखती है। जैविक उत्पादों का इस्तेमाल रोग मुक्त बना सकता है और इससे हमें ही नहीं पेड़-पौधे और जानवर भी प्रभावित नहीं होते क्योंकि अजैविक खेती से जानवरों का भी स्वास्थ्य खराब होता है और मिट्टी भी एसिड से से भर जाती है और उसमें मौजूद अच्छे किट भी मर जाते हैं और ज्यादा उर्वरक का इस्तेमाल करने से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं और मिट्टी को बंजर बना सकते हैं किसानों को जैविक खेती की जरूरत को समझना चाहिए और इसे अपनाना चाहिए।