जैविक खेती में पशु स्वास्थ्य और कल्याण

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  • anil
  • April 2, 2022

जैविक खेती में पशु स्वास्थ्य और कल्याण

जैविक खेती से पशुओं व मनुष्य दोनों की सेहत को नुकसान नहीं होता क्योंकि इसमें किसी प्रकार की कीटनाशक और उर्वरक का उपयोग नहीं किया जाता जिससे जमीन में मौजूद अच्छे कीटो को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता।

पशुओं की सेहत जैविक चारा खाने से ज्यादा अच्छी बनी रहती है और वह ज्यादा तंदुरुस्त रहते हैं उन्हें अजैविक चारा खाने से बहुत कुछ सहना पड़ता है जैसे उनका लीवर कमजोर हो जाता है , एसिडिटी बन जाती है , रसायन होने के कारण अंदर से जलन होने लगती है । जैविक चारा डालने से अंदर से ठंडक मिलती है और ऐसा चारा ही पशु खाना पसंद करते हैं और जैविक चारे से उनकी सेहत भी बनी रहती है और वह दूध भी ज्यादा देते हैं जबकि अजैविक चारा रसायनों से भरा हुआ होता है और यही कारण है कि ऐसा चारा फायदे से ज्यादा नुकसान देता है। अजैविक चारा ही कारण है जिससे पशुओं में नई तरीके की बीमारियां आती है जैसे दूध उत्पादन मे भी अजैविक खेती के कारण पशुओं के स्तन में सूजन होती है , कई बार पशु लंगड़ा कर चलने लगते हैं और अनुवर्ता ( बांझपन ) की समस्या होती है , यह सब भी अजैविक खेती से ही हो रहा है क्योंकि इसे पशुओं के अंदर का संतुलन खराब होता है और अधिक मात्रा में रसायन होने के कारण उन्हें परेशान होना पड़ता है ।

जैविक उत्पादों में ज्यादा मात्रा में फाइबर व पोषक तत्व होते हैं अजैविक उत्पादों की तुलना में । जैविक चारे से कई प्रकार की बीमारियां नहीं होती हैं जैसे अपच की बीमारी नहीं होती , दुग्ध ज्वर , कीटॉसिस। अजैविक चारा विषैला होता है जो जानवरों के शरीर में अप्राकृतिक परिवर्तन लाता है। और यही नहीं कुछ पशु तो यह चारा खाना पसंद ही नहीं करते और बीमार पड़ जाते हैं और कमजोर भी हो जाते हैं। जैविक खेती सेहत से भरपूर है और आज के लोगों के लिए नई पद्धति भी है जो नयी सोच लाएगी और लोगों को पता चलेगा की मात्रा से अधिक गुणवत्ता मायने रखती है और जैविक खेती उन्हें और पशुओं दोनों को ही रोग मुक्त बनाती है और पाचन तंत्र मजबूत बनाती है । जैविक खेती से पारिस्थितिक संतुलन भी बना रहता है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता जिससे जानवर भी सुख से जीते हैं। मनुष्य ने अपने लालच से पूरा संतुलन खराब कर दिया है और सभी चीजों को नुकसान पहुंचाया है , अधिक लाभ पाने के लोभ से जिससे पेड़-पौधों और जानवरों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । अजैविक खेती से गुणवत्ता तो बढ़ जाती है पर स्वास्थ्य के साथ समझौता करना पड़ता है और यह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जाता सारा मनुष्य की ही पेट के अंदर है। मनुष्यों की वजह से ही पशुओं का प्राकृतिक जीवन छीन गया है और उन्हें बंधकस में जीना पड़ता है , उनसे उनकी आजादी छीन ली गई है । अगर उन्हें आजादी से उनके पर्यावरण के अनुकूल जीने दिया जाए तो वो मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ और खुश रहेंगे और उनकी जीवनशैली में सुधार होगा।

अजैविक खेती से बहुत सारे नकारात्मक प्रभाव है और इससे पर्यावरण और प्राणियों का जीवन चक्र प्रभावित होता है और उन्हें इससे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जिनमें से कुछ अभी हमने पढी तो किसानों को यह समझने की जरूरत है कि और जैविक खेती सिर्फ मनुष्यों को ही नहीं पर्यावरण में मौजूद जानवरों को भी नुकसान पहुंचा रही है और इससे पर्यावरण को अनियंत्रित नुकसान हो रहा है इसलिए उन्हें जैविक खेती को अपनाना चाहिए और प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि पर्यावरण में सुधार हो और जो बीमारियां फैल रही हैं उन में कमी आए। जैविक खेती से यह भी लाभ होता है कि जो कीड़े मिट्टी के अंदर है जैसे केंचुआ आदि वह भी नहीं मरते क्योंकि  अजैविक खेती में उर्वरकों कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है जिससे मिट्टी में मौजूद अच्छे गीत मर जाते हैं तो उन्हें भी बहुत नुकसान होता है और मिट्टी को भी जैविक खेती के बहुत सारे फायदे हैं और इसे समझना चाहिए और अपना भी चाहिए ताकि पर्यावरण में मौजूद जानवरों को भी नुकसान ना हो।